शामली। कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न कराना किसी चुनौती से कम नहीं होता है। शामली जिले की यदि बात की जाए तो यहां से इस बार पौने सात लाख से अधिक हरियाणा, यूपी, पंजाब, राजस्थान, दिल्ली, मध्य प्रदेश के कांवड़िए निकले। कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न कराने में डीएम और एसपी कामयाब रहे। इसके पीछे उनकी रणनीति और कर्मचारियों की मेहनत रही। सराहनीय कार्य करने वाले कर्मचारियों को विभाग द्वारा जल्द ही सम्मानित किया जाएगा।

पिछले एक माह से पुलिस और प्रशासनिक अधिकारी कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न कराने में लगे हुए थे। शहर को जहां 7 सुपर जोन और 44 सेक्टरों में बांटा गया था। वहीं विभिन्न स्थानों पर पुलिस के साथ-साथ प्रशासनिक टीमों को लगाया गया था। शिवरात्रि पर्व को शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न कराने के बाद अब पुलिस और प्रशासनिक अधिकारियों ने भी राहत की सांस ली है।

डीएम रविंद्र सिंह का कहना है कि इस बार कांवड़ यात्रा के दौरान कई अतिरिक्त व्यवस्था की गई थी। जगह-जगह अस्थाई डिवाइडर के साथ-साथ पहले ही मार्गों को वनवे करा दिया गया था। इसके अलावा प्रयास रहा कि कांवड़ मार्गों में प्रकाश व्यवस्था बनी रही। सड़कों में बने गड्ढाें को भी भरवाने का कार्य किया गया। इस बार अतिरिक्त सेक्टर और जोनल व्यवस्था भी कारगर साबित हुई। शुरुआत से ही किए गए रूट डायवर्जन ने भी यात्रा को शांतिपूर्वक बनाने में अहम भूमिका निभाई। इसके अलावा यात्रा को शांतिपूर्वक संपन्न कराने में जिले के लोगों के साथ-साथ अधिकारियों, कर्मचारियों की भी अहम भूमिका रही। सराहनीय कार्य करने वाले कर्मचारियों को जल्द सम्मानित भी किया जाएगा।

एसपी अभिषेक का कहना है कि इस बार एक माह पहले ही कांवड़ की तैयारियां शुरू कर दी गई थीं। सड़कों पर रांग साइड में वाहन नहीं चले, इस पर पूरा फोकस रहा। इसके कारण हादसों पर अंकुश लगा। इसके अलावा पुलिस हो या फिर प्रशासनिक अधिकारी सभी की नियमित रूप से मॉनिट्रिंग की गई। यही कारण रहा कि कांवड़ यात्रा को शांतिपूर्वक ढंग से संपन्न कराया जा सका। इस बार सबसे बड़ी बात रही कि व्यापारियों, इंडस्ट्रलिस्ट और अन्य लोगों के साथ बैठक करने के बाद पहले ही रूट डायवर्जन और वनवे करा दिया गया था, जो कारगर साबित हुआ। यात्रा को संपन्न कराने में लोगों ने भी सहयोग दिया।

इस बार सबसे अधिक संख्या में पुलिस और प्रशासन के कर्मचारियों और अधिकारियों को भोलों के वेश में विभिन्न स्थानों पर तैनात किया गया था। कहीं कोई गड़बड़ होने का अंदेशा भी हुआ तो उक्त भोलों के वेश में मौजूद कर्मचारियों ने शिवभक्तों को समझाकर मामला संभाला, क्योंकि कांवड़िये एक-दूसरे की बात ज्यादा मानते हैं।