शामली।  ऊन तहसील क्षेत्र में अधिकांश गेहूं, आलू, मटर, सरसों, धनिया आदि की फसलें उगाई जाती हैं। पिछले कुछ समय से घने कोहरे के साथ पाला पड़ रहा है, जिससे गेहूं की फसल को फायदा और अन्य फसलों को नुकसान होने की सम्भावना है। किसानों का कहना है कि कोहरा लगातार कई दिनों तक छाया रहने और हवा में ज्यादा नमीं से सरसों, आलू, धनिया आदि फसलों को नुकसान हो सकता है। इन फसलों में चेपा कीट व रतवा रोग, मटर में सफेद चूर्ण रोग, आलू में झुलसा रोग बढ़ने की संभावना बढ़ गई है। कृषि विशेषज्ञ डॉ. संदीप का कहना है कि कोहरा होने के कारण मधुमक्खियां फसलों पर नहीं पहुंच पाती हैं, जिसके कारण सरसों, मटर, आदि फसलों में परागण ठीक से नहीं हो पाता है। इससे फलियों में दाने कम बनते हैं।

भूमि से पौधे पोषक तत्व व पानी लेकर अपनी पत्तियों या हरे भाग द्वारा निश्चित अवधि तक धूप मिलने पर हवा से कार्बन-डाईआक्साइड लेकर अपना मुख्य भोजन कार्बाेहाइड्रेट, वसा, प्रोटीन, विटामिन आदि का निर्माण करते हैं। यह क्रिया प्रकाश संश्लेषण कहलाती हैं। ज्यादा दिनों तक कोहरा पड़ने से फसलों व पौधों की प्रकाश संश्लेषण प्रक्रिया बाधित होने लगती है जिससे फसलों में हल्का पीलापन, कमजोर, कीट व रोग बढ़ने से उत्पादन पर भी असर पड़ता है। घना कोहरा छाया रहने से गेहूं की फसल को फायदा और अन्य फसलों पर विपरीत प्रभाव पड़ता है। पेस्टीसाइड विक्रेता प्रियंक कुमार का कहना है

कि गेहूं की फसल में पीलापन आ जाए तो मौसम साफ होने पर तीन प्रतिशत यूरिया को पानी में घोलकर छिड़काव करना चाहिए। आगे भी कोहरा अगर लगातर पड़ेगा तो आलू, सरसों, आदि फसलों को नुकसान हो जाएगा। गेहूं की फसल को पाले से अधिक फायदा पहुंचेगा। इस वर्ष जैसा मौसम वर्षों बाद देखने को मिला है। फूल वाली फसलों को नुकसान सरबजीत सिंह निवासी ग्राम सुंदरनगर का कहना है कि रबी की फसल के लिए ठंड भी जरूरी होती है, जिससे उत्पादन अच्छा होता है। मगर कोहरा व पाले से फूल वाली फसलों का नुकसान होता है, इससे वो खराब होती हैं। रोगग्रस्त भी हो जाती हैं। गेहूं के लिए पाला वरदान साबित होता है।