शामली। जिले की चीनी मिलों का गन्ना पेराई सत्र खत्म हुए ढाई माह से ज्यादा समय गुजर चुका है। जिले की चीनी मिलों पर किसानों का 756.67 करोड़ रूपये बकाया होने के बाद छोटे किसानों को महंगाई के दौर में घर का खर्च चलाने में परेशानी हो रही है। रोजमर्रा की वस्तुओं को खरीदने और बच्चों की फीस देने के लिए किसानों को ब्याज पर पैसा लेना पड़ रहा है।

जिले की शामली, चीनी मिल का पेराई सत्र 15 मई, थानाभवन का 15 अप्रैल और ऊन चीनी मिल 18 अप्रैल को खत्म हो चुका है। पेराई सत्र खत्म होने के बाद चीनी मिलों की ओर से किसानों का संपूर्ण गन्ना भुगतान नहीं किया गया है। गन्ना विभाग के आंकड़ों के मुताबिक, जिले की चीनी मिलों पर कुल 756.69 करोड़ रुपये बकाया है। जिसमें शामली चीनी मिल पर 281.62 करोड़ रूपये, ऊन चीनी मिल पर 170.73 करोड़ रुपये, थानाभवन चीनी मिल पर 304.34 कराेड़ रूपये बकाया है। जिले के चीनी मिलों की ओर से किसानों का संपूर्ण

बकाया गन्ना भुगतान न किए जाने से छोटे मंझौले किसानों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। छाेटे किसानों को स्कूलों में बच्चों की फीस, घर में बीमारी, घर चलाने और रोज मर्रा की आवश्यक वस्तुओं खरीदने के लिए पैसा ब्याज पर लेना पड़ रहा है।

भाकियू के राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र के सचिव कपिल खाटियान का कहना है कि किसानों के बच्चों का स्कूलों का शिक्षा सत्र शुरू हो गया है। बच्चों की फीस दिए जाने,घर में बीमारी घर चलाने के लिए रोजमर्रा की वस्तुएं खरीदने के लिए छोटे किसानों को ब्याज पर पैसा लेने पड़ता है।

सपा के वरिष्ठ नेता कैराना लोकसभा चुनाव सह प्रभारी प्रोफेसर सुधीर पंवार का कहना है कि गन्ना सत्र समाप्त होने के बाद भी किसानों का 6000 करोड़ रुपये चीनी मिलों पर बकाया है। जिसमें जिले के किसानों का 756.69 करोड़ रुपये बकाया है। भुगतान न होने के कारण किसानों को जहां एक और ऊंची ब्याज दरों पर पैसा लेकर किसान क्रेडिट कार्ड का ऋण चुकाना पड़ रहा है, वहीं दूसरी और घर का खर्च चलाने में समस्या आ रही है। स्कूल-कालेजों का नया सत्र शुरू हो गया है उसमें बच्चों की फीस की किसान जमा नहीं कर पा रहे है। बारिश में बीमारियों के कारण दवाई एवं डाक्टरों का खर्च बढ़ गया है।

किसान यूनियन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सवित मलिक के मुताबिक गन्ने का पेराई सत्र समाप्त होने के बाद भी शामली जिले की चीनी मिल भुगतान नहीं कर रही हैं। जिससे किसान की हालत बहुत दयनीय हो गई है। किसान का अपना पैसा मिल मालिक पर है और किसान मजबूरी वश लोन लेने को मजबूर है। वह उधार पर रुपये लेकर अपना घर चला रहा है अभी दो जुलाई से स्कूल खुल गए हैं। किसान स्कूल फीस भी नहीं दे पा रहे हैं। अभी तक बच्चों की ड्रेस और किताब नही खरीद पाए हैं।