शामली। दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण में आ रही समस्याओं को लेकर पानीपत-खटीमा हाईवे पर बुटराड़ा व करौदा हाथी के बीच चल रहा अनिश्चितकालीन धरना दूसरे दिन शुक्रवार को भी जारी रहा। तेज बारिश में भी किसान धरने पर डटे रहे। वहीं, प्रशासन का कोई अधिकारी किसानों के बीच नहीं पहुंचा है।
दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर के लिए भूमि अधिग्रहण के मुआवजे को लेकर किसानों ने बृहस्पतिवार को पानीपत-खटीमा हाईवे पर अनिश्चितकालीन धरना शुरू कर दिया था। पहले दिन भाकियू के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों के बीच समर्थन देने की घोषणा की थी। साथ ही धरने पर डटे रहने का आह्वान किया था। शुक्रवार को धरने की अध्यक्षता शिवकरण सिंह ने की तथा संचालन प्रमोद जागलान ने किया। बारिश के बावजूद किसान दिन-रात धरनास्थल पर डटे रहे। इसके साथ ही बारिश के बचाव के लिए किसानों ने वाटर प्रूफ टेंट की व्यवस्था धरनास्थल पर कराई गई। धरनास्थल पर भट्ठी चढ़ाकर सब्जी-पूरी बनाई जा रही है।
वहीं, वक्ताओं ने दोहराया कि एक प्रोजेक्ट एक मुआवजा की तर्ज पर मुआवजा किसानों को दिया जाए। किसानों की अन्य सभी समस्याओं का भी समाधान किया जाए। ऐसा नहीं होने तक धरना जारी रहेगा। किसानों में धरने को लेकर काफी जोश है। धरनास्थल पर बिजेंद्र सिंह बाबरी, डॉ. तेजपाल, सुशील सिंह, चंद्रवीर सिंह, सहदेव सिंह, राजकुमार, महावीर सिंह आदि मौजूद रहे।
दिल्ली-देहरादून इकोनॉमिक कॉरिडोर के निर्माण में बाधक बन रहे किसानों को प्रशासन ने चेतावनी जारी कर दी है। एसडीएम विशु राजा ने विज्ञप्ति जारी कर कहा कि इस एक्सप्रेसवे में जनपद के 22 गांव प्रभावित हैं। इसकी दूरी 32.05 किमी व क्षेत्रफल 221 हेक्टेयर अधिग्रहण के लिए प्रस्तावित है। जिसके सापेक्ष 295 करोड़ रुपये का प्रतिकर वितरण भी किया जा चुका है। अवशेष वितरण की कार्रवाई जारी है। एक्सप्रेसवे का कार्य समय से पूर्ण करने के लिए तकरीबन 90 प्रतिशत भूमि एनएचएआई को उपलब्ध करा दी गई है। जिस पर प्राधिकरण द्वारा नामित कंपनी को कार्य करना है। इस कार्य में लगे व्यक्ति या इस्तेमाल किए जा रहे यंत्रों को कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार की क्षति नहीं पहुंचाएगा। यदि कोई व्यक्ति कार्य में बाधा उत्पन्न करता है तो उसके खिलाफ सख्त कार्रवाई की जाएगी।