शामली. पिछले दो सालों से लहसुन के दाम गिरने से किसानों के लिए इसकी खेती घाटे का सौदा साबित हो रही है। इस साल लहसुन की फसल कटाई के दौरान कम दामों पर बिक रहा है।
जिले में थानाभवन और कैराना ब्लाक में लहसुन की खेती की जाती है। एक हजार से ज्यादा किसान लहसुन खेती कर रहे हैं। थानाभवन ब्लाक के उमरपुर, दखौडी, सोहजनी, गोसगढ़, हसनपुर लुहारी, इरशादपुर, चंदेनामाल, अंबेहटा, कादरगढ़, यारपुर गंदेवडा आदि गांवों लहसुन की खेती होती है। किसानों का कहना है कि अक्तूबर से अप्रैल और मई के प्रथम सप्ताह तक लहसुन की फसल पककर तैयार होती है। पिछले एक माह से लहसुन की कटाई-छंटाई और भराई का कार्य खेतों में चल रहा है।
किसानों के मुताबिक पिछले दो सालों से लहसुन के थोक के दाम गिरे हैं। दो साल पूर्व उनका लहसुन पचास रुपये किलो से लेकर 75 रुपये तक मंडियो में बिकता था। पिछले दो साले से फसल कटाई पर 25-30 रुपये किलो से बिक रहा है। जलालाबाद के मोहम्मद इकबाल बताते है कि लहसुन की खेती के लिए मजदूरों को कटाई और छंटाई के लिए 150 रुपये बोरी भरवाई के लिए दिए जाते हैं। एक दिन मे ढाई से तीन बोरी मजदूर लहसुन की भराई कर पाते है। जलालाबाद के पूर्व चेयरमैन और लहसुन के किसान जहीर मलिक बताते हैं कि पिछले साल ज्यादा बारिश होने से लहसुन की बुआई देरी से शुरु हुई। एक बीघा भूमि में लहसुन की लागत 15 से बीस हजार रुपये की लागत आई है। पिछले दो सालों से एक बीघा खेत में सात आठ क्विंटल उत्पादन हुआ। कम उत्पादन होने और कम दाम मिलने से घाटा हुआ है। जलालाबाद के किसान उपेंद्र कुमार बताते हैं कि गुजरात, मध्यप्रदेश और महाराष्ट्र में लहसुन की ज्यादा फसल हुई है। जिससे उनकी फसल के दाम कम हो रहे है। जलालाबाद क्षेत्र के किसान आजादपुर मंडी में लहसुन बेचते हैं।
फुटकर का भाव 60 रुपये किलो तक
बाजार में रिटेल में लहसुन 40 रुपये से लेकर 60 रुपये किलो और थोक में 25 रुपये से लेकर 30 रुपये किलो बिक रहा है। शामली मंडी के आढती बाबूराम सैनी का कहना है कि मंडी के एक आढ़ती का लहसुन खराब हो गया है। जिसने बाहर फेंक दिया है।
शरद कालीन गन्ने की बुआई के साथ लहसुन की खेती करते हैं किसान
कृषि विज्ञान केंद्र के वैज्ञानिक डॉ. विकास मलिक बताते हैं कि कैराना व थानाभवन क्षेत्रों में लहसुन व प्याज की खेती किसान गन्ने की शरद कालीन बुआई के साथ करते है। लहसुन की खेती में गुणवत्ता पर भाव निर्भर करता है। सफेद रंग की पोथी का अलग महत्व है। साइज छोटे और पीला होने पर भाव कम हो जाता है।