कैराना। मोहल्ला शीतला माता निवासी सराफा व्यापारी विशाल वर्मा का 8 वर्षीय पुत्र लखन खेल-खेल में मकान के कमरे के अंदर बंद हो गया। फिल्मी स्टाइल में गेट का कांच का शीशा तोड़कर बाहर आने के प्रयास में शीशा जांघ में घुस गया। गंभीर अवस्था में छात्र को मेरठ रेफर किया गया, जहां उसकी उपचार के दौरान मौत हो गई। शोक में कस्बे का सराफा बाजार बंद रहा।
सराफा व्यापारी विशाल वर्मा का 8 वर्षीय पुत्र लखन शामली के स्कॉटिश स्कूल में कक्षा दो का छात्र था। बताया कि बृहस्पतिवार रात आठ बजे वह अपनी बहनों के साथ लुका छुपी खेल रहा था। इसके बाद अचानक ही लखन मकान के एक कमरे में बंद हो गया। कमरे के गेट में शीशा लगा हुआ था। लखन ने कहा कि मैं गेट तोड़कर बाहर आ जाऊंगा, मुझे कोई अंदर नहीं रख सकता। इसके बाद फिल्मी स्टाइल में लखन ने शीशे के गेट में जोर से लात मार दी, जिससे शीशा चकनाचूर होकर लखन की जांघ में घुस गया और वह लहूलुहान हो गया। यह देखकर बहनों ने शोर मचा दिया।
इसके बाद परिजन बालक को शामली के निजी अस्पताल में ले गए लेकिन गंभीर हालत के चलते डाक्टरों ने उसे मेरठ रेफर कर दिया। मेरठ में डॉक्टरों ने बालक को मृत घोषित कर दिया। शुक्रवार सुबह यमुना तट पर अंतिम संस्कार कर दिया गया। लखन दो भाइयों और दो बहनों में सबसे छोटा था। पूर्व सराफा यूनियन अध्यक्ष स्वर्गीय रमेश चंद वर्मा का पौत्र था।
परिजनों ने बताया कि लखन पढ़ाई में काफी होशियार था। हालांकि वह अकसर माता या पिता का मोबाइल लेकर उसमें वीडियो देखता रहता था। माना जा रहा है कि वीडियो देखने के बाद ही लखन ने शीश तोड़कर बाहर आने का प्रयास किया।
मनोवैज्ञानिक डॉ. अरुण राय का कहना है कि बच्चे आज के समय में मोबाइल पर वीडियो अधिक देख रहे हैं। कई बार ऐसा होता है कि वीडियो में जिस तरह से दिखाया जाता है, मासूम उसी तरह से उसे रीयल लाइफ में करने का प्रयास करते हैं। कई बार जान गंवा बैठते हैं। अभिभावकों से अपील है कि बच्चों के खेलते या फिर अन्य समय उन पर विशेष ध्यान रखें। उन्हें यह भी बताएं कि वीडियो में जो दिखाया जा रहा है, वह सच नहीं है। उसे यदि जीवन में प्रयोग करेंगे तो नुकसान हो सकता है। बच्चों को मोबाइल देने से भी बचें।
मासूम लखन की मां प्रिया वर्मा का रो-रोकर बुरा हाल था। मां ने जिस शीशे से बेटे की मौत हुई, उस पर कई बार अपने हाथ मारे, जिससे मां भी घायल हो गई। प्रिया का प्राइवेट अस्पताल में उपचार कराया गया। वह रो-रोकर कह रही थी कि जिसने मेरे बेटे की जान ली, उसे नहीं छोडूंगी। बाद में किसी तरह परिवार के लोगों ने उसे शांत किया। पिता का कहना था कि यदि बच्चे का ध्यान रखते, उसे मोबाइल नहीं देते तो उसकी जान बच सकती थी। पिता उसे डॉक्टर बनाना चाहते थे।