शामली। शहर से निकलने वाले कूड़े के निस्तारण के लिए तीन साल बाद भी आधुनिक प्लांट का निर्माण नहीं हो सका और न ही डंपिंग ग्राउंड में इकट्ठा हुए हजारों टन कूड़े का निस्तारण हो पाया है। कूड़ा निस्तारण प्लांट के लिए अभी तक भूमि चिह्नित तक नहीं हो पाई है, जिस कारण डंपिंंग ग्राउंड में कूड़े का पहाड़ बन गया है।

शामली शहर से रोजाना औसतन 40 टन कूड़ा निकलता है। इस कूड़े को भैंसवाल रोड पर स्थित पालिका की भूमि पर बनाए गए डंपिंंग ग्राउंड में डाला जाता है। कूड़े का निस्तारण न होने के कारण डंपिंंग ग्राउंड में हजारों टन इकट्ठा होकर कूड़े का पहाड़ बन गया है। तीन साल पहले शासन ने कूड़े के निस्तारण के लिए आधुनिक कूड़ा निस्तारण प्लांट लगाने के लिए लगभग तीन करोड़ रुपये का बजट जारी किया था। प्लांट का निर्माण सहारनपुर की सीएंडडीएस कंपनी को सौंपा गया। कंपनी के अधिकारियों ने डंपिंंग ग्राउंड का सर्वे कर आधुनिक प्लांट का निर्माण करने पर सहमति दे दी थी साथ ही कहा था कि ग्राउंड में जो कूड़ा इकट्ठा है, उसे वहां से हटाया जाए या उसे पूरी तरह निस्तारित किया जाए।

इसके बाद नगरपालिका ने करीब एक साल पहले दिल्ली की कंपनी को कूड़ा निस्तारण का ठेका दिया था। उस समय ग्राउंड में लगभग 34 हजार टन कूड़ा इकट्ठा होना आंका गया था। एक साल में कंपनी करीब 12 हजार टन कूड़े का ही निस्तारण कर पाई। जबकि इससे अधिक कूड़ा और इकट्ठा हो चुका है। अब निर्माण कंपनी ने डंपिंंग ग्राउंड में आधुनिक प्लांट का निर्माण होने से इंकार कर दिया। कंपनी का कहना है कि डंपिंंग ग्राउंड बस्ती के बीच में आ चुका है और दूसरा ग्राउंड में कूड़ा नीचे गहराई तक डाला गया है, जिस कारण प्लांट के निर्माण के बाद धंसने की आशंका है। अब पालिका ने आधुनिक प्लांट निर्माण के लिए नई सिरे से भूमि की तलाश शुरू कर दी है। भूमि मिलने के बाद ही आधुनिक कूड़ा प्लांट का निर्माण हो पाएगा। इसके चलते नगरपालिका का न तो कूड़ा निस्तारण का प्लांट बन सका है और न ही डंपिंग ग्राउंड में पड़े कूड़े का निस्तारण हो पाया है।

सहारनपुर की निर्माण कंपनी ने डंपिंग ग्राउंड पर आधुनिक कूड़ा प्लांट निर्माण करने से इंकार कर दिया है। अब प्लांट के लिए नई भूमि की तलाश की जा रही है। भूमि उपलब्ध होने के बाद नए सिरे से डीपीआर तैयार होगी। इसके बाद प्लांट का निर्माण शुरू हो सकेगा।