शामली। आजादी बाद से लेकर अब तक शामली नगर पालिका परिषद सीट पर एक बार को छोड़कर वैश्य समाज से चेयरमैन चुने जाने का इतिहास रहा है। शासन ने इस बार पालिका चेयरमैन पद महिला वर्ग से बदलकर अनारक्षित कर दिए जाने से हर वर्ग को चुनाव लड़ने का मौका दिया है। अनारक्षित सीट होने से वैश्य समाज के दावेदारों की संख्या बढ़ेगी। सबसे ज्यादा भाजपा से टिकट मांगने वाले दावेदारों की संख्या है।

नगरपालिका परिषद शामली के चेयरमैन पद का इतिहास देखा जाए तो यह वैश्य बाहुल्य सीट मानी गई है। एक बार को छोड़कर शामली में वैश्य समाज से चेयरमैन चुने गए है। पहले नगर पालिका परिषद के सदस्य चेयरमैन का चुनाव लड़ते थे। बहुमत सदस्य वाला प्रत्याशी चेयरमैन निवार्चित होता था। यह परंपरा वर्ष 1988 के बाद बदल गई। 1988 के बाद पहली बार चेेयरमैन चुनने का आम जनता को वोट का अधिकार दिया गया। 1988 मेें पहली बार वैश्य समाज के राजेश्वर बंसल चुने गए। 1995 में चेयरमैन पद पर नेमचंद गर्ग, 2002 में राजेश्वर बंसल दूसरी बार और 2007 में राजेश्वर बंसल तीसरी बार चेयरमैन चुने गए। 2012 में शामली में चेयरमेन पद चुनाव में अरविंद संगल चेयरमैन बने। 2017 में चेयरमैन पद महिला वर्ग में आरक्षित हुई। इस चुनाव में राजेश्वर बंसल की पत्नी अंजना बंसल चेयरमैन चुनी गई। इस बार शासन से जारी सूची में शामली नगरपालिका का अध्यक्ष पद फिर अनारक्षित वर्ग में शामिल किया गया है। अनारक्षित सीट होने से हर वर्ग के दावेदारों को चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। सबसे ज्यादा चुनाव लड़ने वाले दावेदारों में वैश्य समाज से है, उनमें भी भाजपा से टिकट मांगने वाले ज्यादा है।

ऊन। नगर निकाय चुनाव के आरक्षण की सूची में ऊन नगर पंचायत महिला वर्ग में आरक्षित हुई है। अब तक ऊन में तीन बार अध्यक्ष पद पर पुरूष व तीन बार महिला अध्यक्ष पर रही है। पिछली बार 2017 के चुनाव में यह सीट पिछड़ा वर्ग के लिए आरक्षित थी। महिला वर्ग में सीट आने से जो लोग चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहे थे, उन्हें अब पत्नी या परिवार की किसी महिला को चुनाव लड़ाना होगा। हालांकि इस बार अध्यक्ष पद अनारिक्षत होने के कयास लगाये जा रहे थे। अनारक्षित सीट पर सभी वर्ग की महिलाओं को चुनाव लड़ने का मौका मिलेगा। भाजपा समेत सभी दलों से टिकट पाने के जुगाड़ में दावेदार जुटे हुए हैं। भाजपा से टिकट पाने वाले दावेदारों की संख्या सबसे ज्यादा है।