शामली. टपराना गांव में मेरठ-करनाल हाईवे पर प्रस्तावित फ्लाईओवर के लिए अधिग्रहीत भूमि का मुआवजा दिए बिना प्रशासन ने करीब 60 परिवारों को मकान ध्वस्त करने की चेतावनी दे दी। इससे पहले उन्हें कोई नोटिस भी नहीं दिया गया। ग्रामीणों ने ध्वस्तीकरण से पहले मुआवजा दिए जाने की मांग की है।
कलक्ट्रेट पहुंचे टपराना के ग्रामीणों ने बताया कि गांव में मेरठ-करनाल हाईवे पर फ्लाईओवर प्रस्तावित है। पूर्व में एनएचएआई के अधिकारियों और राजस्व विभाग की टीम ने हाईवे की जद में आए मकानों की पैमाइश कर दी थी। मकानों व दुकानों पर निशान लगा दिए थे। ग्रामीणों को उचित मुआवजा दिए जाने का आश्वासन दिया था। आरोप है कि अब मुआवजा दिए बिना ही मकान व दुकान अपने आप तोड़ने का दबाव बनाया जा रहा है, न तोड़ने पर बुलडोजर से ध्वस्त कराने की चेतावनी एनएचएआई के अधिकारी और लेखपाल दे रहे हैं। जिससे उनका बड़ा नुकसान हो जाएगा। जबकि कई परिवार मकान ध्वस्त होने पर बेघर हो जाएंगे।
प्रभावित ग्रामीणों का कहना है कि इससे पहले कोई सूचना या नोटिस भी नहीं दिया गया। जबकि अन्य गांवों में मुआवजा दिया जा चुका है। ध्वस्तीकरण की कार्रवाई से पहले उन्हें उचित मुआवजा दिया जाए। मंगलवार को ग्रामीणों ने एसडीएम विशु राजा से मिलकर मुआवजे के बाद ही कार्रवाई की मांग की। एसडीएम ने मुआवजा वितरित करने के बाद ही ध्वस्तीकरण की कार्रवाई शुरू करने का आश्वासन दिया है। शिकायत करने वालों में राशिद, स्वदेश, यशपाल, अमित कुमार, नफीस, नजाकत, नौशाद, शौकीन, शहजाद आदि शामिल रहे।\
पहले 12 मीटर, अब 16 मीटर पर लगे निशान
ग्रामीणों के मुताबिक 2015 में सड़क के बीच से 12 मीटर पर निशान लगे थे। तब ग्रामीणों ने अपने निर्माण खुद तोड़ लिए थे। अब एनएचएआई ने 16 मीटर पर निशान लगा दिए हैं। जिसकी जद में करीब 60 मकान आ रहे हैं।