शामली। इसे शामली जिले के लोगों का दुर्भाग्य ही कहा जाएगा कि जिला बनने के 12 साल बाद भी तीन नगर पालिकाओं, छह नगर पंचायतों में आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए परियोजना ही स्वीकृत नहीं की गई है। विभागीय अधिकारियों के कई बार निदेशालय, प्रमुख सचिव और अन्य को पत्र भेजने के बाद भी शहरी क्षेत्रों में परियोजना स्वीकृत नहीं की जा रही है। इसका सबसे बड़ा असर कुपोषित बच्चों और किशोरियों पर पड़ रहा है। इनका ब्योरा नहीं होने के कारण उन्हें उपचार नहीं दिया जा रहा । हालांकि, जिले के 230 गांवों में आंगनबाड़ी केंद्र संचालित हैं तथा उन पर 500 के करीब आंगनबाड़ी कार्यकर्ता नियुक्त हैैं।
जिले में शामली के अलावा कैराना, कांधला नगर पालिका और बनत, गढ़ीपुख्ता, झिंझाना, थाना भवन, ऊन, जलालाबाद नगर पंचायत क्षेत्रों में आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए परियोजना ही स्वीकृत नहीं की गई है। यहीं कारण है कि यहां पर अभी तक आंगनबाड़ी कार्यकर्ताओं से लेकर सुपरवाइजर तक की तैनाती नहीं की जा सकी है। जिसको लेकर लोगों में भी विभागीय अधिकारियों के प्रति आक्रोश है।
नगर निकायों में आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए परियोजना स्वीकृत नहीं होने के कारण जहां विभाग कुपोषित और कम वजन का ब्योरा नहीं जुटा पा रहा। वहीं, कितनी किशोरियां रोगों से ग्रस्त हैं, इसका भी पता नहीं चल पा रहा है। यदि परियोजना स्वीकृत हो तो पीड़ितों का जहां समय पर कुपोषण दूर कराया जा सकेगा, वहीं, रोगों से ग्रस्त किशोरियों, महिलाओं को भी हष्ट पुष्ट बनाया जा सकेगा।
ग्रामीण क्षेत्रों में कुपोषित बच्चों और बड़ों को प्रशासन द्वारा आधा किलो रिफाइंड, आधा किलो दाल, डेढ़ किलो गेहूं , डेढ़ किलो चावल निशुल्क उपलब्ध कराए जाते हैं।
नौ नगर निकायों में आंगनबाड़ी केंद्रों के लिए परियोजना स्वीकृत करने को अधिकारियों के माध्यम से कई बार प्रस्ताव बनाकर भेजा जा चुका है। हालांकि, जिले के 230 गांवों में केंद्रों के माध्यम से कुपोषण को दूर करने का प्रयास किया जा रहा है। अभियान चलाकर लोगों को जागरूक भी किया जाता है। – बाबर खां, जिला कार्यक्रम अधिकारी शामली