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गाजियाबाद। महिलाओं ने जैसे ही चुप्पी तोड़ी, वैसे ही महिला उत्पीड़न के मुकदमों का रिकाॅर्ड भी टूट गया। सखी वन स्टाॅप सेंटर के आंकड़े इसकी गवाही दे रहे हैं। आठ साल में सबसे ज्यादा मामले वित्तीय वर्ष 2023-24 में दर्ज किए गए हैं। इन आंकड़ों से यह भी पता चलता है कि महिला उत्पीड़न कम होने के बजाय साल दर साल बढ़ता जा रहा है।
सेंटर की प्रबंधक प्रीति मलिक का कहना है कि पहले महिलाएं सेंटर पर आने में झिझकती थीं। अगर आ भी जाती थीं तो शिकायत दर्ज कराना नहीं चाहती थीं। सिर्फ इतना चाहती थीं कि उनके साथ घरेलू हिंसा न हो। कार्रवाई के लिए मना कर देती थीं। पिछले दो तीन सालों में कहानी कुछ बदली है। अब महिलाएं चुप्पी तोड़ रही हैं। अगर किसी के साथ उत्पीड़न होता है वह केस दर्ज कराती हैं और न्याय के लिए संघर्ष करने के लिए भी तैयार रहती हैं।
वन स्टाॅप सेंटर में दर्ज मामलों की संख्या से इसे समझा जा सकता है। महिला उत्पीड़न के मामलों में गाजियाबाद पूरे प्रदेश में दूसरे स्थान पर है। पहले स्थान पर लखनऊ है। गाजियाबाद में 2023-2024 में 1420 मामले आए हैं। इनमें सबसे ज्यादा घरेलू हिंसा के हैं। सेंटर 2017 में खुला था। आठ साल में इस बार सबसे ज्यादा मामले आए हैं। वन स्टाॅप सेंटर के अलावा पिंक बूथ और महिला थाने में भी महिला उत्पीड़न के केस दर्ज किए जाते हैं। सेंटर में घरेलू हिंसा, दुष्कर्म और अपहरण की शिकायतें दर्ज की गई हैं।
2016-17 163 49 212
2017-18 388 203 591
2018-19 654 254 908
2019-20 612 318 930
2020-21 701 470 1171
2021-22 507 234 1011
2022-23 704 376 1357
2023-24 628 451 1420
अर्थला निवासी 23 वर्षीय महिला ने वन स्टाॅप सेंटर पर बताया कि शादी के बाद पता चला कि पति समलैंगिक है। एक साल तक वह उसी उलझन में रही कि शिकायत करे या नहीं। आखिर में हिम्मत करके शिकायत की। काउंसलर अंजना चौहान ने बताया कि इस मामले में पति की काउंसिलिंग की गई। इसके बाद दंपती राजी-खुशी रह रहे हैं।
पसौंडा निवासी 25 वर्षीय महिला ने बताया कि 2016 में शादी हुई थी। शादी के छह साल तक लगातार अत्याचार सहे। कभी मारपीट करना, कभी घर से निकाल देना। जब पति ने उसको जान से मारने का प्रयास किया तब चुप्पी तोड़ते हुए उसने पुलिस को फोन किया लेकिन कोई सहायता नहीं मिली। पति ने तीन तलाक देकर घर से निकाल दिया। उसके बाद वन स्टॉप सेंटर पर संपर्क किया।
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