
शामली। गांव लाडो माजरी निवासी दयावती पत्नी रघुराज ने 21 फरवरी 2012 को जिला उपभोक्ता आयोग में वाद दायर किया था। जिसमें बताया था कि उनका परिवार कृषि पर आश्रित है। उत्तर प्रदेश कोऑपरेटिव फेडरेशन ने अपने उत्पादों के प्रचार-प्रसार के लिए योजना निकाली थी। जिसमें उनकी कंपनी के उर्वरकों को खरीदने वालों का इफको टोकियो इंश्योरेंस कंपनी की योजना के तहत बीमा किया जाएगा। बीमे की कोई किश्त नहीं ली जाएगी। उर्वरक की कीमत में ही बीमे की किश्त की धनराशि का समायोजन होगा।
उनके पति ने 20 मई 2010 कैडी रोड स्थित पीसीएफ खाद एजेंसी से उर्वरक खरीदा था। जिस पर खरीद से एक वर्ष तक बीमा धारक के साथ घटित दुर्घटना की क्षतिपूर्ति का दायित्व बीमा कंपनी का था। उनके पति की सांड की टक्कर से मृत्यु के बाद बीमा क्लेम किया तो कंपनी ने उसे निरस्त कर दिया। जिसका कारण बताया कि बीमा योजना का लाभ इफको किसान सेवा केंद्र या पंजीकृत को-ऑपरेटिव सोसायटी से उर्वरक खरीदने पर ही मिलता है। जबकि पीसीएफ खाद एजेंसी से बताया गया कि उनके पति की खरीदी गई उर्वरक बीमा योजना के अंतर्गत थी।
इस मामले में की सुनवाई के बाद आयोग के अध्यक्ष हेमंत गुप्ता और सदस्य अमरजीत कौर ने दयावती के पक्ष में निर्णय सुनाया। उन्होंने बीमा कंपनी को बीमित धनराशि बीमा दावा निरस्तीकरण की तिथि सात जुलाई 2011 से भुगतान की तिथि तक 6 प्रतिशत वार्षिक ब्याज के साथ देने के आदेश दिए। साथ ही आर्थिक, शारीरिक व मानसिक क्षतिपूर्ति के लिए 50 हजार और वाद व्यय के लिए 10 हजार का अर्थदंड लगाया। इसके अलावा तीनों विपक्षियों पर अनैतिक व्यापार व्यवहार अपनाने के लिए संयुक्त रूप से 45 हजार का अर्थदंड लगाया है।
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