शामली।  मामौर झील किसानों के लिए अभी भी बर्बादी का कारण बनी हुई हैं। गांव मवी के पास 78.7 करोड़ रुपये की लागत से नवनिर्मित सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को चालू नहीं किया गया हैं। तीन दिन तक सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट को केवल ट्रायल हुआ था। वहीं दूसरी ओर कैराना नगर से प्रतिदिन करीब 10 लाख लीटर पानी झील में समा रहा हैं। नगर के साथ ही बारिश के पानी के कारण झील पर पानी का अधिक दबाव बढ़ता जा रहा हैं।

शनिवार की देर रात मामौर झील ओवरफ्लो होने से इसकी मिट्टी की मेड टूट गई। झील की मेड टूटने के बाद किसान जाबिर, फुरकान, शराफत, रामपाल, सुखबीर, दिलशाद, बाबू, साजिद, मेहताब व इसराइल सहित करीब 12 से ज्यादा किसानों की करीब 200 बीघा गेहूं की फसल पूरी तरह जलमग्न हो गई। किसानों का कहना हैं कि सीवेज ट्रीटमेंट प्लांट बनने के बाद भी उनको राहत नहीं मिल रहीं हैं। वें लगातार अधिकारियों से प्लांट को चलाने की मांग कर रहें हैं। उनकी समस्या का समाधान नहीं हो पा रहा हैं। किसानों ने बर्बाद हुई गेहूं की फसल का मुआवजा दिलाएं जाने की मांग की हैं। वहीं किसान दिन भर क्षतिग्रस्त मेड की मरम्मत करने के लिए मिट्टी के बोरे भरते रहे।