शामली। जिले की एकमात्र झील मामौर का जल्द ही सुंदरीकरण होगा। झील के पास बैठकर लोग व्यंजनों का भी लुत्फ उठा सकेंगे। यहीं नहीं ओपन पार्क से लेकर पर्यटकों के बैठने के लिए बेंच, छतरी और पार्क का निर्माण कराया जाएगा। जिसके लिए वन विभाग के अधिकारियों ने तैयारी कर ली है। यही नहीं झील पर आने वाले पक्षियों और मौजूद मछलियों की प्रजातियों को देखने के साथ ही इनके बारे में भी जानकारी हासिल कर सकेंगे। सुंदरीकरण की तैयारी ग्राम पंचायत के सहयोग से वन विभाग के अधिकारियों ने कर ली है।
जिले की यदि बात की जाए तो यहां पर एकमात्र सबसे बड़ी कैराना क्षेत्र में मामौर झील है, जिसमें हर साल हजारों की संख्या में प्रवासी पक्षी भी पहुंचते हैं। 40 हेक्टेयर जमीन पर झील है। बरसात के दिनों में इसमें पानी बढ़ने से यह करीब 100 हेक्टेयर क्षेत्रफल तक फैल जाती है जिससे इस क्षेत्र में खड़ी फसलें बर्बाद हो जाती हैं। अब वन विभाग के अधिकारियों ने झील के सुंदरीकरण का निर्णय लिया है।
झील से पानी आदि नहीं निकले, इसके लिए जहां बाउंड्री कराई जाएगी वहीं जल्द ही सुंदरीकरण भी कराया जाएगा। इसके लिए जहां झील के आसपास दो हजार से अधिक विभिन्न फूल और अन्य प्रजातियों के पौधे लगाए जाएंगे। वहीं अलग से एक पार्क का भी निर्माण कराया जाएगा। जिसमें एक ओपन जिम भी स्थापित किया जाएगा, जिसमें डंबल से लेकर अन्य उपकरण रखवाएं जाएंगे ताकि आसपास गांव के युवा कसरत कर खुद को स्वस्थ रख सके। साथ ही सेल्फी प्वाइंट भी बनवाया जाएगा।
झील पर हर 100 मीटर की दूरी पर पर्यटकों के बैठने के लिए बेंच लगवाए जाएंगे, जिनके ऊपर सीमेंट की छतरी लगवाई जाएगी। बीच में पिलर आर छोटा पुल भी बनवाया जाएगा, जिस पर बैठकर लोग लुत्फ उठा सकेंगे। यही नहीं, झील के अंदर कौन-कौन से पक्षी आते हैं, इसकी जानकारी भी बोर्ड पर लिखी जाएगी, कौन-कौन सी मछलियां मौजूद है और उनकी क्या खासियत है, इसके बारे में बताया जाएगा, ताकि लोग उन्हें बचाने के लिए जागरूक हो सके। संवाद
ये पक्षी आते हैं मामौर झील पर
सर्दियों में तिब्बत व लद्दाक से कूट व लॉर्ज कॉर्पोरेट पक्षी आते हैं। इसके अतिरिक्त साइबेरिया, मध्य एशिया के देशों से अमेरिकन टील, डबलिंग डक, श्वेत कंधा, बार हेडेड ग्रीस, पिनटेल, रूडी शेल डक, विजन, ग्रे लेग्ड गिज, सोवलर्स, पर्पल स्वेमफेन आदि पक्षी मामौर झील पर पहुंचते हैं। इसके अलावा झील में कई प्रजातियाें की मछलियां भी मौजूद है।
क्षेत्रीय वन अधिकारी ने बताया कि देखने में आ रहा था कि मामौर झील पर जाल लगाने के कारण कई बार पक्षी उसमें फंस जाते हैं, जिसके कारण उनकी जान जाने की संभावना बनी रहती है। अब झील में कोई भी जाल नहीं लगा सकेंगा। इस संबंध में दिशा निर्देश दिए गए हैं। जाल लगाने वालों के खिलाफ कार्रवाई की जाएगी।