शामली। साइबर क्राइम में वर्चुअल नंबरों का इस्तेमाल एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है। पुलिस और साइबर सेल की अभी तक की जांच में सामने आया है कि साइबर ठग लोगों से ठगी करने के लिए एक वर्चुअल नंबर तैयार कर रहे हैं, जो दिखने में बिल्कुल विदेशी नंबर की तरह लगता है।

इन नंबरोें से ठग रिश्तेदार बनकर अथवा अन्य तरीके से कॉल कर झांसे में लेकर ठगी कर रहे है। हर माह जिले में 15 से लेकर 20 साइबर ठगी के मामले सामने आ रहे हैं, जिनमें से 10 मामलों में वर्चुअल नंबरों का ही प्रयोग किया गया है। पुलिस अभी वर्चुअल नंबरों को ट्रेस नहीं कर पाती है। शामली पुलिस अब विशेष प्रकार का एप्लीकेशन तैयार करा रही है, जिससे वर्चुअल नंबर से ठगी करने वाले भी ट्रेस किए जा सकेंगे।

एसपी अभिषेक और साइबर थाना प्रभारी संजीव भटनागर के अनुसार वर्चुअल नंबर कुछ विदेशी एप्लीकेशन के माध्यम से तैयार किए जा रहे हैं। फिर उन नंबरों से फर्जी व्हाट्सएप एकाउंट बनाए जाते हैं। इस पूरे प्रोसेस को मात्र 5 से 7 मिनट में तैयार कर लिया जाता है। इसमें किसी सिम या फिर आईडी प्रूफ की जरूरत नहीं होती। कई मामले ऐसे सामने आए हैं, जिनमें वर्चुअल नंबरों से ही ठगी की गई है। पुलिस और साइबर सेल के सामने सबसे बड़ा चैलेंज यह हो रहा है कि ये वर्चुअल नंबर ट्रेस नहीं हो पाते हैं। वर्चुअल नंबरों को ट्रेस करने के लिए साइबर पुलिस उन मोबाइल एप्स से जानकारी मांगती है जिनके जरिए वर्चुअल नंबर बनते हैं। व्हाट्सएप से भी जानकारी मांगी जाती है। हालांकि, ज्यादातर में जानकारी नहीं मिल पाती।

शामली निवासी शमीम के पास प्लस 92 के कोड से जनवरी माह में कॉल आई। शमीम से किसी लड़की ने दोस्ती कर ली। बाद में खुद को एयरपोर्ट पर पुलिस द्वारा पकड़ने की बात कहते हुए दस हजार रुपये की ठगी कर ली। पीड़ित की शिकायत पर पुलिस जांच में जुटी है।

शामली के दिल्ली रोड निवासी वाले एक रिटायर्ड शिक्षक की वीडियो बनाने के नाम पर उनसे 8 हजार रुपये ठग लिए गए। रिटायर्ड शिक्षक के पास प्लस 1 और दो बार माइनस एक कोड वाले नंबरों से कॉल की गई थी।

काका नगर निवासी रवि के पास प्लस 1 कोड वाले नंबर से कॉल आई। कॉल करने वाले खुद को पड़ोसी बताकर 15 हजार रुपये ठग लिए। रवि ने पुलिस से शिकायत की।

साइबर थाना प्रभारी संजीव भटनागर का कहना है कि ठगी में आज के समय में वर्चुअल नंबर ही प्रयोग किए जा रहे हैं। ये ज्यादातर प्लस 1 और प्लस 92 कंट्री कोड से हो रहे हैं। ये कंट्री कोड यूएस और पाकिस्तान का है। इन कंट्री के अलग-अलग स्टेट के अलग-अलग कोड हैं जोकि 3 डिजिट के होते हैं। पुलिस लोगों को प्लस 1, माइनस 1, प्लस 92 आदि कोड से आने वाली कॉल से बचने की अपील कर रही है।

वर्चुअल नंबर बनाने के लिए कोई रुपया खर्च नहीं होता।
नंबर तैयार करने में किसी तरह की आईडी या सिम की जरूरत नहीं होती।
कुछ माह बाद ये नंबर खुद ही बंद हो जाते हैं।
विदेशी कोड से तैयार किए जाने के कारण ठग पकड़ना मुश्किल होता है।
जिले में पिछले कुछ समय में ठगी के सामने आए मामले
दिसंबर माह – 15
जनवरी – 19
फरवरी -14
पुलिस द्वारा पीड़ितों को वापस लौटाए रुपये- 18 लाख 30 हजार 558 रुपये।
गिरफ्तार साइबर ठग- 60

जांच में सामने आया कि ठग अब वर्चुअल नंबरों का अधिक प्रयोग कर रहे हैं। हालांकि, प्रयास किया जा रहा है कि वर्चुअल नंबरों से ठगी करने वालों को भी पकड़ा जाए। लोगों को भी जागरूक किया जा रहा है।