
शामली। विकास प्राधिकरण का गठन न हो पाने के चलते शामली पिछले 12 साल से मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण के अधीन है। जिले में तीन हाईवे का निर्माण होने और दो निर्माणाधीन एक्सप्रेसवे के चलते बड़ी संख्या में अनियोजित ढंग से कॉलोनी विकसित हो रही हैं। प्राधिकरण संबंधित कार्यों के लिए यहां के लोगों को मुजफ्फरनगर के चक्कर काटने पड़ते हैं।
मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण में शामली, खतौली, कैराना कांधला को शामिल किया गया था। वहीं शहर के टंकी रोड पर प्रगति मार्केट में अस्थाई कार्यालय स्थापित किया गया था। कार्यालय में एक एई और तीन जेई, लिपिक और चपरासी काे सबंद्ध किया गया, लेकिन प्राधिकरण कार्यालय एक जेई के सहारे पर चल रहा है। 28 सितंबर 2011 काे मुजफ्फरनगर जिले से पृथक कर शामली को नया जिला घोषित किया गया, लेकिन जिले का अलग प्राधिकरण गठित नहीं किया गया। पिछले 12 वर्षों में जिले में दिल्ली-सहारनपुर, मेरठ-करनाल, पानीपत खटीमा हाईवे का निर्माण हुआ है। इनके बाईपास का भी निर्माण चल रहा है। इसके अलावा दिल्ली-देहरादून और अंबाला-शामली एक्सप्रेसवे का निर्माण चल रहा है। 750 किमी लंबाई का शामली-गोरखपुर एक्सप्रेसवे नेपाल सीमा तक प्रस्तावित है। हाईवे और उनके
बाईपास के आसपास भैंसवाल रोड, बधेव, बलवा, लिलौन, खेड़ी करमू, सिक्का, बनत, फतेहपुर, मन्ना माजरा, कंडेला बाईपास, कैराना यमुना ब्रिज, कांधला एलम सीमा पर आवासीय कॉलोनियां अनियोजित ढंग से विकसित हो रही हैं। इसे देखते हुए शामली नगर पालिका का सीमा विस्तार का प्रस्ताव शासन को छह माह पूर्व भेजा गया था। नगर पालिका और मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण की सीमा का विस्तार शासन में पिछले छह माह से लंबित है। पिछले सप्ताह निकायों का नया बोर्ड गठित हुआ है। ऐसे में सीमा विस्तार की प्रक्रिया आगे बढ़ने के कयास लगाए जा रहे हैं। जिले का विकास प्राधिकरण अलग से गठित हो तो शहर के विकास को पंख लग सकते हैं।
मुजफ्फरनगर के अफसरों को नहीं रुचि, शामली में बैठने का नहीं है समय मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण के अध्यक्ष मंडलायुक्त हैं। उपाध्यक्ष का अतिरिक्त कार्यभार मुजफ्फरनगर डीएम दिया गया है। उपाध्यक्ष और सचिव मुजफ्फरनगर विकास प्राधिकरण कार्यालय में बैठते हैं। प्राधिकरण के कार्यों के सिलसिले में वह कभी शामली नहीं आ पाते। इसके चलते आमजन की समस्याओं का निस्तारण नहीं हो पाता। मुजफ्फरनगर जिले के अफसराें की शामली में कोई रुचि नहीं है। शामली कार्यालय में प्राधिकरण का एई न होने पर जेई को प्रभारी बनाया गया है। जेई भी सिर्फ सप्ताह में एक दिन शामली आकर खानापूर्ति करते हैं।
जनवरी 2022 में शामली महायोजना-2031 का प्रकाशन कर आपत्ति मांगी गई थी, जिस पर सुनवाई के बाद आपत्तियों का निस्तारण भी हो गया था। लेकिन प्राधिकरण की बोर्ड बैठक में इसे मंजूरी के लिए पेश नहीं किया गया। डेढ़ वर्ष से महायोजना लंबित है। प्राधिकरण के सचिव आदित्य प्रजापति का कहना है कि शामली में नए विकास प्राधिकरण का प्रस्ताव शासन में नहीं गया है। प्राधिकरण का सीमा विस्तार के प्रस्ताव के चलते महायोजना अभी लंबित है।
पउप्र संयुक्त उद्योग व्यापार मंडल के प्रदेशाध्यक्ष घनश्यामदास गर्ग ने कहा कि मुजफ्फरनगर से अलग कर जिले का अलग प्राधिकरण गठित होना चाहिए। इसमें शामली के अलावा कांधला, कैराना, थानाभवन, जलालाबाद, ऊन, चौसाना को भी शामिल किया जाना चाहिए। यहां कार्यालय स्थापति कर अलग से उपाध्यक्ष व सचिव समेत सभी नए पद सृजित हों, जिससे शामली का विकास हो सकेगा।
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